Humne Tujhe Jana Hai Faqat Teri Atta Se .....Allama Iqbal #Best Poetry .
Hum Ne Tujhe Jana Hai Faqat Teri Ata Se
Kaabe ke Taqaddus Se, To Marwa wa Safa se
Taoraat se, Injeel se, Quran ki Sada se
Yaseen se, Taaha se, Muzammil se Naba se
Ek Noor Jo Nikla tha Kabhi Ghaare Hira se
Hum Ne Tujhe Jana Hai Faqat Teri Ata Se
हम न तुझे जान
है फ़क़त तेरी अता से
काबे के तक़द्दुस से, तो मरवा वा सफा से
तौरात से, इंजील से, क़ुरान की सदा से
यासीन से, ताहा से, मुज़म्मिल से नाबा से
एक नूर जो निकला था कभी घारे हिरा से
हम न तुझे जान है फ़क़त तेरी अता से
काबे के तक़द्दुस से, तो मरवा वा सफा से
तौरात से, इंजील से, क़ुरान की सदा से
यासीन से, ताहा से, मुज़म्मिल से नाबा से
एक नूर जो निकला था कभी घारे हिरा से
हम न तुझे जान है फ़क़त तेरी अता से
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