इक़बाल तेरी उज़्ज़ात की कहानी क्या सुनाऊं
तेरी ज़िन्दगी पे लिखूं तो अल्फ़ाज़ ना पाऊं
कोई न कर सका क्या काम वो तूने
तेरे काम की शान में कैसे बताऊं
क्या खूब शायरी का अंदाज़ है तेरा
एक एक लफ़्ज़ में जादू सा छुपा पाऊं
बिखरी उम्मत को मिला दिया तूने कैसे
तेरे एहसान मुसल्लमान को मैं कैसे बताऊं
तेरे अशार में नौजवान के लिए नसीहत है छिपी
काश इस क़ौम को उन बातों पर चलता हुआ पाऊं
लोगों को जगाने का जादू था पास तेरे इक़बाल
ऐसा ही हुनर ऐ काश मैं भी पाऊं
rough translation
Iqbal, what tale of your glory shall I narrate?
When I write about your life, words fail me.
Who could accomplish what you did?
How can I describe the honor of your deeds?
Your poetry is adorned with such beauty,
In every word, I find a hidden magic.
How did you unite the scattered nation?
How can I convey your favors to the Muslims?
In your verses lie advice for the youth,
I wish this nation would heed those words.
The magic to awaken people was with you, Iqbal,
If only I could possess such skill.
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