तू जाहिल सूफी और काहिल मुल्ला के फन्दे में ऐसा फसा के तू ने क़ुरान मजीद से हिदायत लेना छोड़ दी. क़ुरआन की आयतों से तुझे बस इतना ही काम रह गया क जब तेरे बूढ़े की रूह अटक गई तो तू सूरा ऐ यासीन ले के बैठ गया. इस में कोई शक नहीं के उस की रूह आसानी से निकल जायेगी. मुझे तो अफ़सोस तुझ पे यह है क जिसका 1, 1 लफ़्ज़ ज़िन्दगी देता है उस से भी तू ने मरना ही सीखा,
{ जिस क़ुरान से तू ने मरना सीखा काश उसी क़ुरान से तू ने जीना भी सीख लिया होता}
Quran e Majeed Se Hidayat Lena Chod Di. Quran Ki Aayato Se Tujhe Bas Itna Hi Kam Rah Gaya Ke Jab Tere Budhe Ki Rooh Atak Gai To Tu Surah-e-Yaseen Le Ke Baith Gaya. Is Me Koi Shak Nahi Ke Us Ki Rooh Aasani Se Nikal Jayegi. Mujhe To Afsos Tujh Pe Yeh Hai Ke Jiska 1, 1 Lafz Zindagi Deta Hai Us Se Bhi Tu Ne Marna Hi Seekha.
{Jis Qruan Se Tu Ne Marna Seekha Kash Usi Quran Se Tu Ne Jeena Bhi Seekh Liya Hota}
No comments:
Post a Comment