یہ نظم آج سے 50 سال قبل ہمدرد فاؤنڈیشن کے بانی حکیم سعید صاحب نے کہی تھی
यह नज़्म
आज से ५० साल पहले, हक़ीम सईद साहिब जो हमदर्द Foundation के Founder किया कहा था —
جہاں
تک کام
چلتاہوغذا
سے
وہاں
تک چاہیے۔بچنادواسے
जहाँ
तक काम चलता हो ग़िज़ा से,
वहाँ तक चाहिए बचना दवा से।
اگرخون
کم بنے،اور بلغم زیادہ
تو
کھائیں گاجر،چنے،شلجم زیادہ
अगर ख़ून कम बने, बलगम ज़्यादा,
तो खायें गाज़र, चने, शलगम ज़्यादा।
جگرکے بل پے ہےانسان جیتا
اگر ضعف جگر ہے تو کھائیں پپیتا
जिगर के बल पे है इंसान जीता,
अगर ज़हफ़ जिगर है तो खा पपीता।
جگرمیں ہو اگر گرمی کا احساس
مرّبہ آملاکھا یا اننّاس
ज़िगर में हो अगर गर्मी का एहसास,
मुरब्बा आंवला खा या अनन्नास।
اگر
ہوتی ہے میدے میں گرمی
تو
پی لے سونف یا ادرک کا پانی
अगर होती है मेदा मे गरानी,
तो पी ले सौंफ या अदरक का पानी।
تھکن
سے ہوں اگر عضلات ڈھیلاے
تو
فوراًدودھ گرماگرم پی لے
थकन से हों अगर अज़लात ढीले ,
तो फ़ौरन दूध गर्मा गरम पी ले।
جو
دکھتاہو گلا
نزلے
کے مارے
توکر
نمکین پانی کے غرارے
जो दुखता हो गला नज़ले के मारे,
तो कर नमकीन पानी के ग़रारे।
اگرہو
دردسے دانتوں کے بےکل
تواونگلی
سے مسوڑوں پر نمک مل
अगर हो दर्द से दांतों के बे कुल,
तो ऊँगली से मसूड़ो पर नमक मल।
جو
طاقت میں
کمی ہوتی
ہو محسوس
تو
مسری کی ڈلی ملتان کی چوس
जो ताक़त मे कमी होती हो महसूस,
तो मिश्री की डली मुल्तान की चूस।
شِّفا
چاہیےاگرکھانسی سے جلدی
تو
پی لےدودھ میں تھوڑی سی ہلدی
शिफा चाहिए अगर खाँसी से जल्दी,
तो पी ले दूध में थोड़ी सी हल्दी।
اگرکانوں میں تکلیف ہوئے
توسرسوں کا تیل پھائے سے نچوڑے
अगर कानों में तकलीफ़ होए,
तो सरसों का तेल फाये से निचोए।
اگر
آنکھوں میں پڑتےہوں جالے
تو
دھکنی مرچ گھی کے ساتھ
کھالے
अगर आँखों में पड़ जाते हो जाले,
तो दखनी मिर्च घी के साथ खा ले।
تپ دق سے اگر چاہئےرہائی
بدل پانی کا گننا جوس بھائی
तपेदिक से अगर चाहिए रिहाई,
बदल पानी का गन्ना चूस भाई।
جو
بدہضمی میں توچاہےافاقہ
تو
دو ایک وقت کرلے فاقہ
जो बदहज़मी में तू चाहे अफाका,
तो दो एक वक्त कर ले तू फ़ाक़ा
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